घरघोड़ा न्यायालय परिसर में आयोजित लोक अदालत में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट श्रीमती चंद्रकला साहू द्वारा प्रार्थी को प्रकरण में राजीनामा किए जाने पर एक पौधा भेंट कर किया सम्मानित….

घरघोड़ा – घरघोड़ा न्यायालय परिसर में आयोजित लोक अदालत एक विशेष और प्रेरणादायक घटना का गवाह बनी, जब न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट, श्रीमती चंद्रकला साहू जी द्वारा एक प्रार्थी को उसके प्रकरण में राजीनामा किए जाने के अवसर पर एक पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास था, बल्कि आपसी सहमति और विवादों को शांति और सामंजस्यपूर्ण तरीके से सुलझाने के महत्व को भी रेखांकित करता है।
लोक अदालत का उद्देश्य हमेशा से ही विवादों को न्यायालय से बाहर शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने पर जोर देना रहा है। इस प्रक्रिया में दोनों पक्षों को आपसी सहमति से समझौते की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है, जो न केवल न्यायालय का समय बचाता है, बल्कि दोनों पक्षों के बीच मनमुटाव को भी खत्म करने का माध्यम बनता है। दिनांक 21/9/2024 की लोक अदालत में भी ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया, जहां प्रार्थी ने आपसी समझौते से मामले को समाप्त करने का निर्णय लिया।
श्रीमती चंद्रकला साहू ने इस अवसर को खास बनाते हुए प्रार्थी को एक पौधा भेंट किया। यह प्रतीकात्मक उपहार केवल एक साधारण उपहार नहीं था, बल्कि इसमें गहरा संदेश निहित था। पौधा जीवन का प्रतीक है और इसे भेंट कर उन्होंने यह संदेश दिया कि जैसे पौधा हमारे वातावरण को शुद्ध करता है, वैसे ही आपसी सुलह और समझौता समाज में शांति और सद्भावना को बढ़ावा देता है। यह न केवल प्रकृति की ओर हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि समाज में सहयोग और सामंजस्यपूर्ण संबंधों को भी मजबूत करता है।
इसके अलावा, पौधा भेंट करने की परंपरा आजकल न्यायालयों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह पहल विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। जब किसी व्यक्ति को पौधा भेंट किया जाता है, तो उसे यह संदेश मिलता है कि उसे न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में बल्कि सामाजिक और प्राकृतिक परिवेश में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना है।
लोक अदालत की इस पहल ने सभी उपस्थित लोगों के मन में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ा। यह न केवल कानूनी विवादों के समाधान का एक तरीका था, बल्कि समाज को यह भी संदेश दिया कि हम अपने विवादों को शांतिपूर्ण और सुलझे हुए ढंग से सुलझा सकते हैं। न्यायालय के इस अनूठे कदम ने न्याय व्यवस्था में एक नई दिशा की ओर संकेत किया, जहां न केवल कानूनी मसलों का निपटारा होता है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों की भी बात की जाती है।
इस प्रकार की पहलें समाज में न्यायिक प्रक्रियाओं को अधिक संवेदनशील और जागरूक बनाती हैं। इससे न केवल कानूनी व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बढ़ता है, बल्कि समाज में सामंजस्य और सहयोग का वातावरण भी निर्मित होता है। श्रीमती चंद्रकला साहू द्वारा प्रार्थी को पौधा भेंट करने की यह छोटी सी पहल समाज में बड़े सकारात्मक बदलाव का संकेत है। यह एक प्रेरणादायक संदेश है कि हम सभी को न केवल अपने विवादों का समाधान करना चाहिए, बल्कि प्रकृति और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना और निभाना चाहिए।

EDITOR – EXPOSE36LIVE
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